Monday 27 October 2014

फिर तुम आ गयी


फिर कोहरा छाने लगा, और गर्मी सुस्ता गयी ,
चंद महीने ही हुए थे तुम्हे गए, की फिर तुम आ गयी ।

कहर अभी तो न दिखाओगी, पर हवा तुम्हारा पैगाम ला गयी,
कहा सूरज ने की ठहरो कुछ दिन और, पर धूप भी तुमसे शर्मा गयी ।

कर किनारे मेरे वो मनपसन्द स्टाइलिश ड्रेसेज़, सारे स्वेटर निकलवा गयी,
चंद महीने ही हुए थे तुम्हे गए, की फिर तुम आ गयी ।

ए सी, कूलर कब के सुला दिए थे तुमने,
सीलिंग फैन को चार से एक पर गिरा गयी ।

यूँ खुश हुए कम्बल और रज़ाई अपनी महीनो की नींद टूटने से,
ठंडी धरती पर पैर रखना रुकवा गयी ।

आना तुम्हारा, आगाज़ है नए वर्ष का,
और सबके चेहरे पे मुस्कान छा गयी ।
 
सर्द हवा यूँ हर दिल पे छा गयी,
फिर तुम आ गयी॥॥ 
 
 

1 comment:

  1. What an amazing creation!!! Love it Madhvi! How beautifully you have related winters onset to your life :)

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